Monday, November 30, 2009

वाह रे मेरा भारत महान ! सांसदों को समय नहीं - देश अपनी रफ़्तार खुद चल रहा है

वाह रे मेरा भारत महान ! संसद का कल मखौल उड़ाया हमारे माननीय सांसदों ने ! १ मिनट कि कार्यवाही का खर्चा तक़रीबन २५००० रूपया लगता हैं. उसकी चिंता और न जनता कि चिंता है इन जन प्रतिनिधियों को . कल संसद का प्रश्न काल स्थगित किया गया किसी हल्ले गुल्ले के कारण नहीं विक्षी पार्टी के विरोध  के कारण नहीं स्थगित किया गया सिर्फ इसलिए कि सांसदों को समय नहीं था . वाह रे मेरा भारत महान. !!! इस देश को चलाने वाले
सांसद खुद चल कर न आये तो देश कैसे चलेगा समझ से परे है .
भारत  कि गैर जिम्मेदाराना जनता (माफ़ करना दिल में दर्द है इस लिए लिखा है..... ) के कारण ही यह सब हो रहा हैं. हम अपने से ऊपर उठ कर सोचे . अपने सोच का दायरा बढ़ाये तभी हम इन गैर जिम्मेदाराना जन प्रतिनिधियों के नखैल लगा सकते है अन्यथा उनकी नकेल हम पर तो लगी ही है .
 इक काम लोकसभाध्यक्ष कर सकती है कि कल के खर्चे कि सीधी सीधी कटौती सांसदों के भत्ते में से कर ली जाये. मगर इससे फर्क भी क्या पड़ेगा,  इनकी शान ओ शौकत कोई इन भत्तो से थोड़े ही बरक़रार रहती है.  इनको फर्क भी नहीं पड़ेगा हाँ देश कि जनता थोड़ी आत्म संतुस्ठ महसूस जरूर कर लेगी .

4 comments:

  1. Well Said,

    looking to the condition of Maharastra(MMS)/Bengal(CPI)/AP(TRS)/UP(Maya),india is going for a civil war soon.

    Also uncontrolled commodity prices will results in criminal activities.

    Govt has failed in every thing , pushing India back to 1947 situation. Once more war against Pak/china/division of india.

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  2. अजी कुछ नहीं होने वाला.....बस अंधों के हाथ बटेर लगा हुआ है ओर अंधे मिलकर दावत उडा रहे हैं !

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  3. sahi hai sir.. ek baat maine bhi kuch din pahle sochi thi... ye jo Democracy hai... this is very good, very successful only in Developed countries... and if you think it is successful for a developing country also, that is possible only in lesser population country. Now, we have two factors, the rate of development and population to decide on success. In highly populated country which is developing, anyone and everyone would try to get to the top by any means...Now, you will think Military rule could be an option.. again, thats going to get corrupted after all that will also be a kind of bureaucracy.. the only option that I think of is having a third-party governing you... and that takes back to 1947... tell me your thoughts.

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