सूर्य की किरणे मद्धम क्यों है ?
हमने तो बस अपने दिल में उनका चेहरा देखा है ......
चन्द्रमा की चांदनी शिथिल क्यों है ?
हमने तो बस दिल से उनको नजदीक आने का कहा है .....
हवा में ठहराव सा क्यों है ?
लगता है दिल की मुराद वो पूरी करने वाले है .......
कोई आवाज़ अब सुनाई क्यों नहीं देती ?
लगता है उनके कदम अब मेरी और आने लगे है .......
आपकी टिपण्णी के लिए आपका आभार ...अच्छी कविता हैं...बहुत अच्छी .
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