हिंदुस्तान का इक महापर्व कुछ लोगो को चुनने का ख़त्म हुआ । ५० प्रतिशत के लगभग जनता ने अपने मताधिकार का प्रयोग(उपयोग नही) किया। कुछ्ने मत देने के लिए मत दिया तो कुछ ने किसी के कहने पर दिया होगा। उनका प्रतिशत कम ही होगा जिन्होंने राष्ट्र धर्म निभाया होगा। खैर क्या कर सकते है भारत भाग्य विधाता..... भाग्य तो अब कल सवेरे खुलेगा अभी तो बंध है इ वी ऍम मैं.... नेताओ का भाग्य तो खुलेगा ही साथ ही भारत का भी भाग्य कल खुलेगा , तस्वीर स्पष्ट हो जायेगी की किन हाथो में भारत अब खेलेगा। कौन हिंदुस्तान को चलायेगा अपनी मर्ज़ी के मुताबिक।
इक नया भविष्य लिखने की जुगत फिर से की जायेगी फिर नए दावे नए सपने दिखाए जायेंगे । जनता के लिए हम ही है इसका भी दम ठोका जाएगा। और हमेशा की तरह जनता फिर ठुक ही जायेगी।
अभी पौ बारह तो चेंनलो की आई हुई है , कल से ही शुरू हो गए देश के भविष्य की भविष्यवाणी करने को .... कितनी सही होगी सामने आजायेगा ... एसी कमरे स्टूडियो में बैठ कर शहरों में वोटर को सूंघ कर ट्रेंड बताने के इन दावो में कितनी सच्चाई है कल साफ़ हो जाएगा और फिर जब आकडे नही बैठेंगे तो कहेंगे कि वास्तव में मतदाता साइलेंट था। मन में कुछ और था उसके .... इत्यादि दलीले देकर फिर नई स्टोरी की तरफ़ मौड़ दिया जाएगा भोले भाले दर्शक को कुछ और दिखाने के लिए .......
जुगत बिठाने की कसरत शुरू होगई है , तोल मोल के बोल ..... सेटिंग्स टॉप लेवल पर शुरू, जो बेहतर मैनेजमेंट जानता है उससे "मेनेज" होगा हिंदुस्तान का "राज" मगर यह ख़ुद अभी राज ही है। सौदे होंगे आपस में वादे होंगे और इस सौदेबाजी से देश फिर पाँच वर्षो के लिए किसी के हाथो में होगा अगर सही सही वादे पुरे होते रहे तो नही तो फिर समर्थन वापस लेने की धमकी से ब्लैक मेलिंग होती rahegi ......
छुटभैया नेताओ की ठेकेदारी वाले डालो को अगर ठिकाने लगाना है तो फिर दिल कठोर कर कांग्रेस तथा भाजपा को मिल कर सरकार बना लेनी चाहिए , जिसकी सीटें ज्यादा उसको सत्ता "कॉमन मिनिमम प्रोग्राम" बना कर दूसरा दल विपक्ष में और फिर देश में वास्तव में ईमानदारी से इस तरह का वातावरण बनाया जाए की अगले आम चुनावो में जनता ख़ुद क्षेत्रीय दलों से ऊपर उठ जाए। इक राष्ट्र और दो दल बस दूर करे बाकि दलदल ....... तब तो हिन्दुस्थान का भविष्य स्वर्णिम दीखता है नही तो अंदाजा आप स्वयं लगा सकते है। जोड़ तोड़ की राजनीती से देश हित की निति बन पायेगी इसमे सौ प्रतिशत शक मुझे तो लगता है।
मेरा दिल है की मानता नही इसलिए कुछ न कुछ लिख ही देता हूँ कई मित्र कहते है की क्यों इतना लोड लेता है ? जो होना होगा वो होकर रहेगा ......... दुःख इस बात की आख़िर बदलने वाला ही बदलना नही चाहे तो फिर क्या बदल जाएगा ...... बिंदास हो कर अपनी टिपण्णी करे
sahi kaha hai...kuch nahi badlega jo hota hai hone do soch kar yadi hum sabhi lode lena band kar den to kuch nahi hoga.......kuch na kuch to karna padega chahe is baare men apne vichaar hi den ye bhi kaam aayega.....mere blog men aane ke liye dhanyawaad
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