The news clip is of Rajasthan Patrika
कौन कहता है इस देश में महंगाई हैं. यह सरासर झूट है भाई . संसद में महंगाई नहीं तो देश में कैसे महंगाई हो सकती है . संसद में बैठ कर ही तो नीति निर्धारण करने वाले, देश को हांकने वाले बैठते हैं. जब वहां सब कुछ ठीक है तो देश में ठीक होगा ही . बहुत सीधी सीधी बात है .
सब्सिडी जनता को मिल रही है तो जनता द्वारा चुने गए जनता के प्रतिनिधि कैसे उससे अछुते रह सकते है ? हिंदुस्तान की जनता की चिंता करने वाले सांसदों को बिना टेंशन के चिंता करने के लिए सब सुविधाए उपलब्ध करवाना आखिर गलत हो ही कैसे सकता है ? और aap कौन होते हें सही गलत का निर्णय करने वाले वो तो संसद में बैठे सांसदों को करने का ठेका आपने हमने पांच वर्षों के लिए दे ही दिया है. अब क्या खाक कर लेंगे आप और हम. तभी तो संसद की केंटिन के लिए ५.३ करोड़ की सब्सिडी सिर्फ इस वित्तीय वर्ष के लिए दी गई हैं. तक़रीबन १ लाख रूपये की औसत सब्सिडी इक सांसद के लिए कुछ ज्यादा भी तो नहीं है . आखिर क्यों चिंतित है भाई . अभी कुछ समय पहले सांसदों के रिश्तेदारों और परिचितों को भी हवाई , रेल यात्रा में मुफ्त यात्रा का तोहफा मिल चूका है . आप भी बनाओ सांसदों से नजदिकिया ताकि आप भी ले सकते हैं इन सुविधाओ का लुत्फ .
मेरे दिल की बात यह है कि आम जनता के लिए भी संसद की कैंटीन सुविधा उपलब्ध करवा दी जाये, हाँ चाहे तो डबल रेट में भी देदे तब भी सहर्ष स्वीकारयोग्य होगा. मगर इक विनती कि इस सुविधा को उपलब्ध करवाने के लिए किसी आयोग का गठन मत करना , वरना डेढ़ रूपये कटोरी दाल और इक रूपये में इक रोटी , २७ रूपये में चिकन से इस देश की लम्बे समय तक महरूम हो जाएगी.